घर संभालना, बच्चों को देखना और ऑफिस में अच्छा परफॉर्म करना, महिलाओं के लिए चुनौती होती है। इसके बावजूद ये जिम्मेदारियां महिलाएं अपने दम पर निभाने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में उनका स्ट्रेस में आना कोई बड़ी बात नहीं है। डॉक्टर्स के मुताबिक, हार्ट डिजीज कोई भी हो, इससे जान का खतरा होता है। आंकड़ों पर नजर डालें, तो हर एक मिनट में एक डेथ हार्ट डिजीज से होती है। वहीं, हर तीन में से एक महिला को हार्ट प्रॉब्लम होती है। इसलिए जरूरी है इसे गंभीरता से लेने की।
प्रिग्नेंसी रहेगी सेफ
कोलांबिया एशिया हॉस्पिटल में कॉर्डियाेलॉजी कंसल्टेंट डॉ. संजय मित्तल कहते हैं, प्रिग्नेंसी के दौरान महिला के हार्ट और रक्त नलिकाओं में बहुत ज्यादा बदलाव आते हैं। इस दौरान ब्लड की मात्रा 30 से 50 फीसदी तक बढ़ जाती है और शरीर के सभी अंगों तक अधिक ब्लड भेजने के लिए दिल को ज्यादा रक्त पंप करना पड़ता है। इस अतिरिक्त रक्त प्रभाव के कारण ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। ऐसे में जरूरत होती है एक्स्ट्रा देखभाल और सावधानी बरतने की। वह बताते हैं कि हार्ट पेशेंट महिला भी सेफ बच्चा पैदा कर सकती हैं और वो भी बच्चे पर बिना किसी असर के, बस जरूरत है डॉक्टर की को समय समय पर चेकअप कराने की।
बचना है आसान
अगर आपको डायबिटीज है, तो उसे कंट्रोल करना जरूरी है। आपका फास्टिंग ब्लड शुगर 100 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए और खाने के दो घंटे बाद उसे 140 एमजी से नीचे होना चाहिए। इसके लिए रेग्युलर एक्सरसाइज करें और डाइट में फाइबर को शामिल करें।
सलाद, सब्जियों और फलों का इस्तेमाल ज्यादा करें। ये फाइबर देंगे और एचडीएल या गुड कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करते हैं।
रोजाना 30 मिनट का योग व एक्सरसाइज जरूरी है। यह आपके तनाव को कम करेगा।
बॉडी मास इंडेक्स यानी बीएमआई 25 से नीचे रहना चाहिए। ऑइली चीजें कम खाएं।
न इग्नोर करें सीने के दर्द को
अमेरिका में हुई एक रिसर्च के मुताबिक, हार्ट अटैक के कारण महिलाओं की डेथ पुरुषों के मुकाबले 42 फीसदी ज्यादा होती है। इसकी खास वजह महिलाओं में दर्द कम होना या सहने की जबर्दस्त क्षमता का होना है। जनरल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल असोसिएशन में पब्लिश एक रिसर्च के मुताबिक, हार्ट अटैक के दौरान सीने में उठने वाले दर्द को महिलाएं आसानी से सह जाती हैं। रिसर्च में पाया गया कि सीने के दर्द की शिकायत के साथ मात्र 30.7 पर्सेंट महिलाएं ही हॉस्पिटल गईं। वहीं पुरुषों के लिए यह आंकड़ा 42 पर्सेंट था।
दर्द सहने की क्षमता बनती है हार्ट अटैक की वजह
बिजी लाइफ और बदलते लाइफस्टाइल के चलते अब महिलाएं हार्ट अटैक की चपेट में ज्यादा आने लगी हैं। दरअसल, हार्ट में माइनर पेन को भी महिलाएं अक्सर इग्नोर कर देती हैं, जो हार्ट अटैक का एक अहम लक्षण है। ऐसे में आपको रेग्युलर चेकअप करवाना जरूरी है।
वातावरण चुस्त, तो दिल रहेगा तंदुरूस्त, आज यही कहना है डॉक्टर्स का। उनके मुताबिक, हमें अपने घरों में सेहतमंद दिल रखने वाला माहौल बनाना होगा, तभी हम हार्ट प्रॉब्लम्स से बच सकते हैं और यह आसानी से हो सकता है लाइफस्टाइल में हल्का सा बदलाव लाकर।
वातावरण चुस्त, तो दिल बनेगा तंदुरूस्त
इंडस हेल्थ प्लस में प्रिवेंटिव हेल्थ केयर एक्सपर्ट अमोल नाइकवाडी कहते हैं, आज के दौर में दिल को हेल्दी बनाए रखने का सीधा संबंध आपकी डाइट और वातावरण से है। अगर आप एक हेल्दी रूटीन को अपनी लाइफ में फॉलो करेंगी, तो आप इस बीमारी से कोसों दूर रहेंगी। इसका सिंपल फंडा है हेल्दी फूड और एक्सरसाइज। मेट्रो हॉस्पिटल एंड हार्ट इंस्टीट्यूट में इंटरवेशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. समीर गुप्ता का भी कुछ ऐसा ही कहना है। वह कहते हैं, हार्ट को हेल्दी रखने का एक ही फॉमूर्ला है हेल्दी खाएं और एक्सरसाइज करें। हेल्दी फूड का सिंपल फंडा है पांच कलर के फ्रूट्स और सब्जियां हर दिन लें। एक्सरसाइज में योगा या जिम करें। ब्रिस्क वॉक भी आपके लिए सही रहेगी। इससे आप एनर्जेटिक रहेंगी, आपका वेट कंट्रोल में रहेगा, ब्लड प्रेशर और डाइटीबिटीज से बची रहेंगी। इससे आपकी बोंस और मसल्स स्ट्रॉग बनेंगी और आप कॉन्फिडेंट, हैपी और अच्छी नींद ले पाएंगी और हेल्दी हार्ट के लिए ये ही चीजें जरूरी हैं।
30 के बाद ही महिलाएं चपेट में
मोटापा और फिजिकल वर्क ना करना इसकी खास वजह हैं। वहीं, पानी की कमी के चलते भी हार्ट से जुड़ी प्रॉब्लम हो सकती है। दरअसल, इससे ब्लड थिक हो जाता है और हार्ट अटैक होने के चांस बढ़ जाते हैं। वैसे, डॉक्टर्स की मानें, तो जो महिलाएं ज्यादा इमोशनल होती हैं वे इसकी चपेट में आ सकती हैं। उनके लिए बहुत ज्यादा दुख या खुशी, दोनों ही स्थितियां खतरनाक होती हैं। पारस हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजिस्ट साइंस में हेड एंड डायरेक्टर डॉ. तपन घोष कहते हैं कि आमतौर पहले हार्ट अटैक 40 साल के बाद ही पड़ता था, लेकिन अब 30 के बाद ही महिलाएं इसकी चपेट में आने लगी हैं। इसकी खास वजह लाइफ स्टाइल है। जंक फूड, एक्सरसाइज और प्रॉपर नींद न लेना टेंशन की वजह बनते हैं और टेंशन हार्ट प्रॉब्लम को इनवाइट करती है। वेस्टर्न कंट्रीज में महिलाएं 50 से 60 साल की उम्र में हार्ट अटैक की चपेट में आ रही हैं। लेकिन हमारे यहां यह उम्र सीमा 40 से 50 वर्ष है। वैसे, आपको बता दें कि इंडिया में जेनेटिक और लाइफ स्टाइल दोनों इस बीमारी की खास वजह हैं।
वेट और पेट पर नियंत्रण जरूरी
फोर्टिस एस्कोर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक डॉ. टी. एस. क्लेर कहते हैं कि फिजिकल एक्टिविटीज कम होना और जंक फूड का सेवन कार्डियोवैस्क्यूलर रोग (सीवीडी) होने की खास वजह है। वह कहते हैं, वेट और टमी के फैट को काबू में रखना बहुत जरूरी होता है (यानी वेट और पेट पर नियंत्रण) किसी व्यक्ति का अधिकतम वजन सेंटीमीटर में उसका जितना कद होता हो, उससे 100 घटाकर किलोग्राम में होना सही माना जाता है, जबकि महिलाओं का 85 प्रतिशत से कम होना चाहिए। जरूरी है जंक और पैकेटबंद खाना अवाइड करना, इसमें चीनी, फैट और नमक की मात्रा बहुत ज्यादा होती है।